जवानी मोहब्बत में रँगने लगी
तुझे छू के अब तो महकने लगी ।।
मिलन का तो वादा है कल का मगर
अभी से ही धड़कन मचलने लगी ।।
दिवस रैन तुझको ही सोचा करूँ
उदासी की रँगत बदलने लगी
लगी छेड़ने मुझको सखियाँ सभी
तेरा साथ पाकर बहकने लगी ।।
गया रह भरोसा न अपनों पे जब
“स्वरा” भी निगाहें बदलने लगी ।।
@स्वराक्षी स्वरा