पास होना ही तेरा बहुत खास है
मैं कहूँ क्या प्रिये तू मेरी स्वास है
जिश्म ही रह गया ये मेरे संग है
रूह प्रियवर मेरी तो तेरे पास है
तुमसे मिलने की मन में मुरादे लिये
हर समय जान तेरा ही अहसास है
जब भी आती तसव्वुर में मेरे सनम
बढ़ती जाती ह्रदय में मिलन प्यास है
अब ऋषभ भाव कैसे गजल में लिखूँ
अर्चना , वंदना , पूजा , अरदास है