ग़ज़ल
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जिसके चेहरे पे नूर हो जाये ।
उसपे दिल को गुरुर हो जाये ।।
तुम जो यूँ ही मिला करो मुझसे
तो मुहब्बत जरूर हो जाये ।।
इक नज़र तुम अगर इधर डालो
जिंदगी में शऊर हो जाये ।।
यार तुम सा गवाह हो जिसका
बस वही बेक़सूर हो जाये ।।
अश्क़ बह जाये अगर आंखों से
हल्का हल्का सुरूर हो जाये ।।
हो जो अपना कोई निगाहों में
ग़म हरिक हम से दूर हो जाये ।।
यूँ न चेहरा निहारिये अपना
आईना ही न चूर हो जाये ।।
————-डॉ. रंजना वर्मा