तरसती आज निगाहों को चार होने दे।
दिलों का एक दूसरे से प्यार होने दे।।
पनाह छाँव के जैसी मुहब्बतें होतीं।
उदासियों की धूप तार तार होने दे।।
घिरी हुई हो एहतियाते जवानी कैसी।
जरा इलाज़ से पहले बुख़ार होने दे।।
नही अँधेरों में रहने की आदतें अच्छीं।
करीब रौशनी को एक बार होने दे।।
बदलना चाहता है जाल बिछाने वाला।
बहेलिये को खुद पे जॉनिसार होने दे।।
सभी से माँगते सलाह थक गया कोई।
नसीहतों का ख़त्म इंतज़ार होने दे।।