तुम्हें चाहूँ तो तुम्हें पा भी लूँ
तुझसे ऐसा कोई वादा तो नहीं
हुश्न अपना हो और गिरफ्त में हो
इश्क़ का ऐसा कोई इरादा तो नहीं
मोहब्बत कई रंग में नज़र आती है
ये मीरा भी है, सिर्फ राधा तो नहीं
खुद से खुद ही को लेके जाएगी
प्यार का सौदा सीधा-सादा तो नहीं
सफर दोनों ओर से बराबर का हो
हर कदम पूरा-पूरा,आधा तो नहीं
सलिल सरोज