कभी बेवफा से भी वफा कर के देख लो
मोहब्बत है कि नहीं ख़फ़ा कर के देख लो
कभी आग दबी भी होती है इस राख में
चाहो अगर ज़रा सी हवा कर के देख लो
भरेगा जख़्म ए दिल तो मुहब्बत से भरेगा
सुनो जितनी भी चाहे दवा कर के देख लो
पहुँचेगा तुम्हारी रूह तक चैन ओ सुकून
कभी भूखे को खाना खिला.कर के देख लो
मिलंेंगे कभी नहीे फ़ितरत जिनकी हो जुदा
लो पानी में तेल को मिला कर के देख लो
जो जागे हुए .हैं राकेश न जागेंगे कभी
उन्हें झंकझोर के या हिला कर के देख लो