इश्क़ की देखिये बानगी दोस्तों l
रूह तक हो गई सन्दली दोस्तों ll
मेरे महबूब की हर अदा रेशमी,
उसका एहसास तक मखमली दोस्तों l
प्यार की खुश्बुओं में हैं डूबे हुये,
फूल माना ये हैं कागज़ी दोस्तों l
वार दुनिया के सह लेंगे हँसते हुये,
मार देगी हमें बेरुखी दोस्तों l
यूँ मुहब्बत की हमको मिलीं मंज़िले,
सज गई प्यार की पालकी दोस्तों l — सुनील गुप्त ‘विचित्र’