सुरमई आँचल तुम्हारा याद आएगा बहुत
तुमको भी पागल तुमारा याद आएगा बहुत
शाम होगी रात की ज़ुल्फ़ें बिखर जाएँगी तो
ज़ुल्फ़ों का बादल तुम्हारा याद आएगा बहुत
बैठ कर साहिल पे जब मैं गीत लिक्खूँगा कोई
तो दिल-ए-बेकल तुम्हारा याद आएगा बहुत
जब मिरी आँखें मिरा दामन भिगोएं गी कभी
बहता वो काजल तुम्हारा याद आएगा बहुत
मैं तो माज़ी में भटकता ही फिरूँगा उम्र-भर
तुमको भी तो कल तुम्हारा याद आएगा बहुत
डूबते सूरज को तकता में रहूँगा जिस घड़ी
साथ यह हर पल तुम्हारा याद आएगा बहुत
तीरगी के जिस्म से बातें करेंगी रात जब
रूप तब चंचल तुम्हारा याद आएगा बहुत
जब कभी थक जाएगा साद का दिल याद से
तो क़दम बोझल तुम्हारा याद आएगा बहुत
अरशद साद रूदौलवी