यक क़ाफ़िया ग़ज़ल
*******************
इस ज़माने का ये फ़साना है
अव्वल-आख़िर यही ज़माना है
रंग गायब हैं सारे रंगों से
किस ज़माने का ये ज़माना है
ख़ूब बदला है ये ज़माना भी
वो जिधर हैं उधर ज़माना है
प्यार है तो मगर ज़बानों तक
ये ज़माना भी क्या ज़माना है
मेरी दुनिया है सिर्फ़ तू ही तू
तेरा सब कुछ मगर ज़माना है
कैसे साबित करूं ये सच शाहिद
मैं वही हूं वही ज़माना है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद