कोई गुमनाम या मुअज्जम है ।
साथ सबके ख़ुशी है मातम है ।।
आदमी की जवाबदारी से ।
आदमियत उदास बरहम है ।।
पास तेरे कभी का आ जाता ।
क्या करूँ साथ में मेरा ग़म है ।।
होश की राह छोड़ दी जबसे ।
बेसुधी का शिकार आदम है ।।
गाँव में कल पिता मुलाज़िम था ।
आज बेटा वहाँ मुक़द्दम है ।।