इक कली माहताब जैसी है।
उस की सूरत गुलाब जैसी है।।
तुम अगर पढ़ सको तो पढ़ लेना,
ज़िन्दगी भी किताब जैसी है।।
बिन पिये प्यास बुझ नहीं सकती।
ये मुहब्बत भी आब जैसी है।।
आज महकी सी मेरी दुनिया है।
उस की चाहत शराब जैसी है।।
प्यार सब को यहा नहीं मिलता
सच है दुनिया सराब जैसी है।
©अंशु कुमारी