दिल में सुनहरे वक़्त की मूरत सँवार कर
रक्खी है तिरी याद की दुल्हन निखार कर
खिल जाएं तरी याद के कुछ फूल क़ल्ब में
अश्कों से इस चमन को किसी दिन बहार कर
कब तक रहूं में क़ैद बता हमनशीं मुझे
मुझको उड़ा दे बाम से पिंजरा उतार कर
कुछ रोज़ और याद से आबाद दिल तो रख
इतना मिरी हयात पै एहसाँ उधार कर
उम्मीद के चिराग़ जब तूने बुझा दिए
मायूस लौट आए तुझे हम पुकार कर
मासूम पंछीयों को अबस मारता है तू
हिम्मत अगर है बाज़ का जाकर शिकार कर
दुनिया के वास्ते तिरा मरना फ़ुज़ूल है
अल्लाह की नमाज़ से ए साद प्यार कर
अरशद साद