आदमी तो है ज़ात मिट्टी की
आओ करते हैं बात मिट्टी की
हिंदू मुस्लिम में एक जैसी है
कुछ नहीं ज़ात पात मिट्टी की
पानी पानी जहान था सारा
फिर बनी कायनात मिट्टी की
जिन-ओ-शैतान आग से पैदा
अशरफुल मख़लूक़ात मिट्टी की
शायरी में करें गे सबसे हम
गुफ़्तगु आज रात मिट्टी की
कितना नाज़ुक है रूह का बंधन
जिस्म भी है परात मिट्टी की
साद क्या खूबियां बयान करूँ
मुल्क की ये मुतह्हरात मिट्टी की
अरशद साद रूदौलवी