आश्ना अपनी जगह है आशिक़ी अपनी जगहI
क़ैद हैं जिन दायरों में वो बंदिशें अपनी जगहI
ऐसाभी नहीं था कि हम किसी क़ाबिल न थे I
लियाक़तें अपनी जगह खुशामदें अपनी जगहI
है तुझसे मोहब्बत हमें भी बेइंतिहा लेकिन I
वो गुरूर अपनी जगह ये गैरतें अपनी जगह I
हम भी मुंतज़िर थे तेरी दीद के बरसों मगर I
ह्क़ीक़तें अपनी जगह ख़्वाहिशें अपनी जगह I
दिखाकरता है दोनों में मेरा अक्स फ़िर भी I
परछाइयांअपनी जगह आईने अपनी जगह I
© तनूजा उप्रेती