वसंत पंचमी पर माँ सरस्वती के चरणों में ….. 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 अनुपम मनमोहक छटा,निकट शीत का अंत । शुक्ल पंचमी माघ की, मनभावन है बसंत।। महाविद्या सुरपुजिता,विद्या का दो दान | ज्ञान बुद्धि देदो हमें, मिटे समूल अज्ञान || श्वेत कमल आसन मैया, धारें वीणा हाथ । भाग्य नीलम का चमकादो,संग लक्ष्मी मात ।। नीलम को […]
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रखों उस मालिक डोरी, कारज आप होंगे मन से जब सिमरन करो, शुद्नचित जाप होंगे|१ कागदि कलम हैं लिखन को ,मन बने लिखणहारू सबही बैर भुला दुर्जन , मन करनि वीचारू।२ किरत करतें नाम जपों, सच ही निरंजनु होइ उस सज्जन को जग भला ,जाणै मनि जो कोइ।३ पवणु गुरू पाणी पिता हि माता धरति […]
धनतेरस है आ गया,छाया उर उल्लास, रिद्धि सिद्धि पावेंसभी,होवे सुख का वास। धनकुबेर अति शुभदिवस ,छाये खुशी अपार, घर में कुछ लाओ नया,सजे खूब बाजार। मैं तो लाती हूं सदा, मिट्टि लक्ष्मी गणेश प्रदूषण मुक्त हो धरा, सुखद रहे परिवेश। दिन दुना रात चौगुनी,मिलि सफलता अपार हर दिन धनतेरस मने,सुखी रहे परिवार। धन वैभव का […]
रस मधुरस में ,,,,,,दोहे पर प्रयास ,,,,,, :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: रोटी,, आया मौसम भूख का ,होगा अभी चुनाव । रोटी चावल बेचते , बहे दारु बेभाव ।। देत प्रलोभन हो रहे ,अनपढ़ नेता पास । लूट मार पे मौन क्यों , चाटुकार का दास ।। नेता करते दीखते, केवल तोंद विकास । किंतु लोकहित के लिये, क्या […]
*मन चाहा* मन चाहा कब कब मिला,देखा रोते पास । मतलब निकले खिसकते ,काहे विलाप आस ।। काजल की ये कोठरी, कालिख रहे लगाय । लालच में जो डूबते, बिन पानी मर जाय ।। सोच सोच मन डूबता ,याद करे कब ख़ास । लाज शर्म छोड़ रहता , वही दार का दास ।। मन चाहा […]
परम श्रद्धेय श्री गोपाल दास नीरज जी को विनम्र श्रद्धांजलिस्वरूप कुछ दोहे—- हिन्दी शोकाकुल हुई , उर्दू हुई उदास ‘नीरज’तुम संग ले गए , मेरी हृदय उजास गीत तुम्हारे यूँ लगें , जैसे मंद बयार कानों में मधु घोलती , भावों की रसधार कहीं तुम्हारे काव्य में , रही जागती रात कहीं निशा को भेदकर, […]
*मनबोध* वो सियासत डूब चुकी, बनके जनता राज । चाटुकार धर्म बदले, कहते तीरंदाज ।। अंतर्मन की क्या दशा, उल्लास रहे पास । विकल हृदय में मधुरता, पहचान चले खास ।। नमन पर नमन हम किये, वन्दन करते आज। मिलन किशन बन कर लिये,सपने की ये राज ।। कथनी पर करनी भले, कर ले अब […]
चिकने रेशम से बनी, ‘दीप’ नेह की डोर। छूटे से फिर ना मिले,पकड़ राखिए छोर।। भरत दीप
जनता पर बोझ रखते, जी एस टी हो फ़ैल । मूढ़ राजा सोच रहे , कैसा सुन्दर खेल । महंगाई बोझ रहते, जनता है हैरान । दाम बढ़ाते जारहा ,अनबुझे कराधान । नवीन कुमार तिवारी,,
*योग पर,,,* काया निरोग जतन पर, खर्च होते अपार । जो योग जतन समझते,जीवन सुख संसार ।। योग कर सुयोग लगते, मिलती ख़ुशी अपार।। योग धन योग समझिये,कलंक व्याधी हार ।। तनाव दूर भगाइये , करते रहिये ध्यान । योगी आसन सीखते ,बढाते योग ज्ञान।। अनुलोम से विलोम थे, करे साधना योग राग द्वेष दूर […]
न्याय व्यवस्था हो गई,बेहद ख़स्ताहाल। लंबित लाखों केस हैं,गुज़रे सालों साल।। भरत दीप
क्षमता छः इन्सान की,सोलह करें सवार। दूत बने यमराज के , फिरते डग्गेमार ।। भरत दीप
*कंदील* भूली बिसरी याद से, निकले कलम दवात । खंडहर होते शहरे , कर चले वारदात ।। फानूस जला देखते, कौन करे फरियाद । कंडील करे रौशनी , घर जाने के बाद ।। भभकती लौ दीपक की , लिपटी साया आज । घिसटती चली दामिनी ,,खुलते कैसे राज ।। मौन प्रतिवाद कीजिये, घुड़कती नजर बाज […]
बरखा /बारिश अंजन लगे नयन दिखे,बरसे बरखा रैन । कंचन लिये सजन खड़े, छिनते पुष्पन चैन ।। लाल हरी छतरी लिये , सजाते चले साज । तन बदन अनल खेलते, बरखा गीरे आज ।। बरखा रानी झूमती , खिले पवन पतवार । धरती घानी दीखती, ठंडी चले बयार।। मदमाती पवन चलती, करे शलभ श्रृंगार । […]
अवसाद बरसे नयन टिपिर टिपिर, धुंन्धला आसमान । तरसे दरश मुकुल सजन , टूट रहे अरमान ।। बोझिल होती जिंदगी ,अपने होते पास । मुस्कान की अवारगी कोई आता ख़ास ।। खूबसूरती पर नजर, बनी रहे मुस्कान । जलजला सा असर हुआ ,चलता मेहरबान ।। दीवाना पन जब चढ़े, हो जाता अवसाद। मिले नहीं साजन […]
सदियों से सहती रही,नारी अत्याचार । बदले सोच समाज की,महती है दरकार ।। भरत दीप
राजनीति के मंच से,करते कटु संवाद। इनको उतना लाभ है,जितना बढ़े विवाद।। भरत दीप
जीर्ण-शीर्ण शिक्षा हुई , हुई फीस विकराल। स्कूलों की मनमानी से, अभिभावक बेहाल।। भरत दीप
फिर डर का माहौल है,फिर है घोर तनाव। फिर दंगों का दौर है,फिर आ रहा चुनाव।। ––––––– – भरत दीप
कुनबे में बसते रहे , दिखाया जो लकीर । अल्प लाभ लेकर भले ,बन जाइये फकीर।। भाषायी विग्रह रखे ,बनाया जो दिवार । सत्ता केंद्र बना रहे ,पुराना था विकार ।। छद्म विकास प्रदर्शनी , वोट बैंक शैतान । मुफ्त खोरों की एकता ,जन तंत्र हैरान । समानता की जिंदगी , रहे किताबी ज्ञान […]