सर्दियों का दिन था.. लेकिन धूप अब तक निकल चुका था। ग़ालिब अपने कमरे में बैठे अपनी लगाई हुए गिरह खोल रहें थें.. और एक-एक शेअर को बक़ायदगी से दर्ज़ कर रहें थें। तभी दरवाज़े पर एक मध’म सी दस्तक हुयी। ग़ालिब ने नज़र उठाकर देखा तो सामने मंटो को खड़ा पाया। मंटो के हाथ […]