मेरी वफ़ा का फ़क़त एहतराम कर लेना मिलो जो राह में ख़ाली सलाम कर लेना भरत दीप
Category Archives: शेर (मोहब्बत)
वो मुश्कबू सा मिरे आस पास रहता था मैं जिस की चाह में हर पल उदास रहता था भरत दीप मुश्कबू=कस्तूरी
मैं फिर उस राह वैसे ही तुम्हारा इन्तेज़ार करूँ और तुम फिर गुज़रो मुझे कन्खियों से देखते हुए
उन्तीसवीं को रुख़ की तिरे दीद हो गयी अपनी तो चाँद रात हुई, ईद हो गई भरत दीप
हम लिखते रह गए तुम्हें खुद को मिटा मिटा के कुछ
चाहता हूं की दिल्लगी कर लूं थोड़ी बर्बाद जिंदगी कर लूं ❥ कुमार अरविन्द کمار اروند
ख्वाहिशें टूटे गर तो टूटने दो मेरा , दिल तोड़ना , रिवाज नहीं ❥ कुमार अरविन्द کمار اروند
नदी के दो किनारों सा है ये साथ हमारा ना मिलें पर, आब-ए-इश्क़ में डूबा हर किनारा आब – पानी. – Binding Vandana Singh Dhabhai ………★ Co.Ryt ★………
1- देखी जो नब्ज मेरी हकीम भी घबरा गया बोला ये लाइलाज रोग तूने कैसे पा लिया ! 2- सांस बनकर रहती है तू मेरे संग, तू है तो आज मैं जिन्दा हुं ! 3 बार -बार देखती मैं घड़ी , हर पल जिंदगी आगे बड़ी रोकती भी तो कैसे , वक़्त की थी फुलझड़ी […]
तीरगी शब की मिटा पर मिट न जाना तू कभी। है दुआ यह चाँद मेरे तू सदा आबाद हो।। शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’
बिस्तर की सिलबटे बता रही, रात का फ़साना। मेरे पहलू से उठ क़े , तेरा यूं चले जाना।। साथी मुख़र्जी ( टीना )
कल तलक जो खुशनुमा ख़ाब थे, अहसास थे देखते ही देखते बेज़ार हो गये । —- राजश्री— **** दबा पलकों के चिलमन में हजारों आशिकों के दिल, बड़ी नाजो-अदा से हम कभी इठलाया करते थे।—राजश्री—
तू याद रख सके मुझे जिंदगी भर कुमार आ तुझे कुछ इस तरह मोहब्बत कर लूं ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
उसने हर सवाल पर ख़ामोशी सी ओढ़ रखी है मैं भी अब मुस्कुरा कर उससे कलाम करता हूँ
रूह महक उठती है साथ तेरे चलनेे से सौ चराग जलते हैं इक चराग जलने से…. संध्या अग्रवाल
ख़्वाहिशों के परिंदों सा उड़ता रहता है इश्क़ बैठे जिसकी मुंडेर उसे ही दर्द देता है इश्क़
तेरी निगाह में जब हमने प्यार देखा था तो चेहरा आईने में बार – बार देखा था मुझे पता था तू न आएगा मगर मेने तमाम रात तेरा इंतजार देखा था