गिराने की कोशिश नहीं साजिशें करनी होंगी इस इमारत में ईमान का पत्थर लगा है ♦️ मनु
Category Archives: शेर (संदेशात्मक)
दूसरा कोई मिल गया होगा आदमी आखिरी नही थे हम कुमार अरविन्द
तौल कर लिया करो इश्क़ की मिक़्दार ज़्यादती अक्सर हाज़मे खराब करती है
इश्क़ की तिजारत में, कितने ही घर वीराने हुए कुछ खो गए बाज़ारों में, बाकी सब दीवाने हुए
हसीन ओ दिल फरेब ये दुनिया ए फानी लौ इससे लगाई असल दुनिया भुला बैठे
बुज़ुर्गों के साथ बैठ कर ख्वाब नहीं बुनते हैं अब बच्चे सोते वक़्त कहानियां कहाँ सुनते हैं
दुनिया को दिखाते हैं जो उन सा कोई नहीं अहसास-ए-कमतरी के सताए हुए हैं वो भरत दीप अहसास ए कमतरी = हीन भावना, inferiority complex
चांद – तारों को खबर कर दो जरा सा अपनी मैय्यत में बुलाना चाहता हूं ❥ कुमार अरविन्द کمار اروند
जिंदगी में जब कभी तन्हा हुए खामियां हर सू नजर आयी मेर
उनकी किस्मत नही रूठती उनसे कभी भी ज़िन्दगी में करते काम,होती माँ की खुशी भी।। -आकिब जावेद
सिकंदर न रहे, ज़ालिम भी ज़मीं दोज़ हो गए रब ने जब मौत लिखी तो सब खामोश हो गए
बिक गई इन्साफ की देहरी, बिक गए अख़बार झूठ हुआ ग़ालिब, सच के अलमदारों ख़बरदार
मंजिलें साफ दिखाई देगी रात बाकी है सहर होने दो।। अंशु
इस दौर ए तरक्क़ी में गुम हैं सभी क़िताब मिलते नहीं कहीं अब सूखे हुए गुलाब
बदलेगा जरुर ‘ राज़ ‘ ये मन्ज़र भी कभी उम्मीद के दामन को थाम कर रखना अभी
अब कब्रिस्तान में मुर्दों से डर नहीं लगता मुझे। जिन्दा इंसानों को देखकर पसीना आता है।। – कवि योगेंद्र तिवारी
मौसम ने मिज़ाज बदलना कुछ बंद सा कर दिया पूछा तो कह दिया इंसान तेरी फितरत ही बहुत है – कवि योगेंद्र तिवारी
ज़रा हैरत में हूँ आँखों का ग़र सावन भी दिखता है ये है बाज़ार अंधों का यहाँ दरपन भी बिकता है अमिता शर्मा ‘ मीत ‘
मन के अँधेरे में होगा कोई तो झरोखा जरूर आओ खोलें उसे तोड़े बन्द दरवाज़े का गरूर ★ ©️ ®️ – वन्दना ★
उसी से पूछ बताये गा जिन्दगी क्या है जो मौत देख के आया हो बस अभी अपनी अरशद साद रूदौलवी
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