काग़ज़ दिल रचना
नफरत का सिक्का चल भी गया तो क्या …. इस से तू ज़रा सा बदल [...]
प्यार , ख़ुशी , ग़म और न जाने लिखता क्या क्या मेरे कागज़ दिल को [...]
जिंदगी में फिर वहाँ बचपन मेरा हँसता मिला .. …. जब हुआ बटवारा तो माँ [...]
क़ता (संदेशात्मक)
किसका इंसान तू दिवाना है छोड़ सब कुछ यहाँ से जाना है ….. पाँव माँ [...]
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