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सामाजिक कहानी
दिनभर जलता हुआ रबर ,उसका धुँआ आँखों मे जलन पैदा कर देता है,,गले मे खराश [...]
सत्य कथा-आँखों देखी-कानों सुनी
शाम के 6/7 के करीब का वक्त,मैं बेड पर बैठी थी,टी वी चल रहा था,घर [...]
कविता (प्रेम)
मुझे प्रेम करना है आजीवन उसे, भइया ने मंडप में खड़ा कर दिया,, सुन्न पड़ी [...]
कविता (अन्य)
पाँव में महावर मांग भर चौड़ा सिंदूर हाँथ भर चूड़ियाँ साड़ी में लिपटी पहली बार [...]
लघु कहानी (सामाजिक)
बारह बरस की आजी चौदह बरस के दद्दा,,’ढेर कुल गहना कपड़ा मिली’ ये रंग -बिरंगे [...]
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