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क़ता (संदेशात्मक)
उसकी याद मुझमें आज भी साँसे घोलती है बातें करूँ तो उसकी तसवीर आज भी [...]
नहीं मलनी अब पलकें, सपनों की भी एक हद होती है भूल जाता धड़कते में [...]
नज़्म (दर्द )
वो चले गए उनसे मैं मिल पाया नहीं वो फिर कब आएंगे ये भी उन्होंने [...]
क़ता (दर्द)
ज़िंदगी दिखा कर ज़िंदगी ही मोड़ देते हैं ले जाते हैं हाथ थाम , बीच [...]
खामोशी ही पसरी रही दोनों के दरमियाँ बेजुबां इश्क़ करहाता रहा , बस एक सदा [...]
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