क़ता (अन्य)
शुक्रे-ख़ुदा अदा किया मैंने बुझा के प्यास कुछ लोग देखते रहे छोटा-बड़ा गिलास पानी की [...]
क़ता (संदेशात्मक)
कितना कुछ आसान बनाकर रक्खा है जाने क्यों तूफान उठाकर रक्खा है इससे बेहतर और [...]
काग़ज़ का भी गुल महकाना पड़ता है। बिल्कुल जादूगर बन जाना पड़ता है। यार सियासत [...]
ग़ज़ल (मोहब्बत)
यक क़ाफ़िया ग़ज़ल ******************* इस ज़माने का ये फ़साना है अव्वल-आख़िर यही ज़माना है रंग [...]
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