क़ता (अन्य)
ज़िंदा रहा तो देखा नहीं , मुड़कर कभी मुझे । आज मर गया तो चर्चे [...]
शेर (संदेशात्मक)
अब कब्रिस्तान में मुर्दों से डर नहीं लगता मुझे। जिन्दा इंसानों को देखकर पसीना आता [...]
मौसम ने मिज़ाज बदलना कुछ बंद सा कर दिया पूछा तो कह दिया इंसान तेरी [...]
हास्य / व्यंग
पत्नी चालीसा….. समर्पयामि …………… तुम बिन होत नहीं कारत कोई। विपदा आई पति पर, जब..जब [...]
उजले कपडों से दाग अपने दामन के छुपा रख्खे हैं । छोड़ो भी यार वकीलों [...]
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