गीत (संदेशात्मक)
मन का ओर न छोर..। बावरे मन का ओर न छोर….।। कभी कहे इस ओर [...]
ग़ज़ल (अन्य)
अपन आधे अधूरे से, तुपन आधे अधूरे से! चलो मिल बैठ के देखें सपन आधे [...]
नज़्म (दर्द )
अजीब से ख्वाब देखता हूँ मैं….!!! कितने नादान दिख रहे है अबतक, वफा के सूख [...]
ग़ज़ल (संदेशात्मक)
वही हर रात बन के नींद ,दुनिया को सुलाता है! वही तो सुब्ह बन रोजाना [...]
एक गीत देखिएगा दोस्तो धीरे-धीरे खुद को जैसे पा रहा हूँ .. ज़िन्दगी को गुनगुनाता [...]
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