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ग़ज़ल (संदेशात्मक)
गजल उम्र दर उम्र यूं रह – नुमाई करो | उम्र दर उम्र से आशनाई [...]
ग़ज़ल (अन्य)
मुतल्ला गजल : कुमार अरविन्द जान लेंगी मेरी आज ये हिचकियां याद आती रही वस्ल [...]
शेर (संदेशात्मक)
दूसरा कोई मिल गया होगा आदमी आखिरी नही थे हम कुमार अरविन्द
शेर (मोहब्बत)
हम लिखते रह गए तुम्हें खुद को मिटा मिटा के कुछ
चांद – तारों को खबर कर दो जरा सा अपनी मैय्यत में बुलाना चाहता हूं [...]
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