मुक्तक (संदेशात्मक)
“नदी जब किनारा छोड़ देती हैं; राह की चट्टान तक तोड़ देती हैं; बात अगर [...]
कविता (अन्य)
स्वरचित……आपकी अपनी सुमि की कलम से ये #क़ुदरत” भी कईबार ….. “करिश्मा” अजीब करती है [...]
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