See 3 more categories...
Less...
क़ता (दर्द)
मासूमियत चेहरे की देख फरेबी कहता कौन.. बड़े दिल वालों के दिल में अकेले रहता [...]
क़ता (संदेशात्मक)
जिंदगी की सारी शिकायतें ख़त्म हो जाती हैं ये वही मोड़ है जहाँ उम्मीदें ख़त्म [...]
ग़ज़ल (दर्द)
हमारा सारा हिसाब कर दो बेवफा हमको माफ कर दो शमशान तलक साथ चलो हम [...]
ग़ज़ल (अन्य)
मोड़ पर हाथ छोड़ आया.. तुझ से रिश्ता –जोड़ आया… रात नींद में –ख्वाब आया.. [...]
शेर (दर्द)
आज नही तो कल सब सही हो जाएगा, जीवन इसी उम्मीद में बसर हो जाएगा.. [...]
« »
आपका नाम
आपकी ई-मेल आईडी
कृपया बताएं इस पोस्ट से आपको क्या शिकायत है ( काग़ज़दिल आईडी भी लिखें ,यदि आप सदस्य हैं )