दोहा
अम्बर में छायी घटा , अन्धकार घन घोर । त्राहि त्राहि है मच रही ,धरती [...]
गीत (संदेशात्मक)
जै विंध्य वासिनी मात मेरी मैं द्वारे तेरे आया हूँ । हे दया नंदिनी माँ [...]
माता बन कर के सदा देती हमको प्यार । नारी की महिमा यहाँ होती अपरम्पार [...]
काग़ज़ दिल रचना
रहें सभी से हम हिल मिल । दिल को करें नहीं धूमिल ।। कभी नहीं [...]
कविता (संदेशात्मक)
महिलाओं का भूल कर करिए नहि अपमान । महिलाओं से होत है हम सबका उत्थान [...]
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