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भजन - भक्ति
मचा है देखो कितना जग में कोहराम, अब तो हमें संभालने आ जाओ मेरे राम। [...]
गीतिका (प्रेम)
इश्क में तेरे डूब कर, खता हर बार करता हूं, मोहब्बत है तुमसे बस तुम [...]
गीतिका (संदेशात्मक)
काव्य सृजन १७६ विषय नव वर्ष तिथि १८.३.१८ वार रविवार लो फिर आ गया नववर्ष [...]
कविता (वेदना)
डबडबाई आंखों से तुम्हें देखा, तुम कितने बदल गए हों ….. हां कभी कभी लगता [...]
काग़ज़ दिल रचना
यूं ना बिखराओ मुझे कागज़ दिल है मेरा, इस कागज़ दिल पर कभी तस्वीर बनाते [...]
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