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कविता (अन्य)
तन्हा रातें तन्हा दिन । घुटती रातें लुटता दिन । सावन भी भींग रहा है [...]
ग़ज़ल (अन्य)
छोड़ चले वो रहो में । अलसाए उजियारो में । एक चँदा की ख़ातिर , [...]
समय चला है समय से आगे । सांझ निशा को भोर से मांगे । गहन [...]
कविता (संदेशात्मक)
जीत का प्रसाद हो । हार का प्रतिकार हो । नभ के भाल पर , [...]
कविता (वेदना)
वक़्त बड़ा परवान चढ़ा । बिकने को ईमान चला । देश भक्ति की कसमें खाता, [...]
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