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बाल कविता
मैं भारत माँ का लाल हूँ , दुशमन का मैं काल हूँ ! लड़ते कुछ [...]
कविता (संदेशात्मक)
कहीं व्यर्थ फैंक दी जाती हैं रोटियां कहीं तरसते हैं लोग पाने को रोटियां पेट [...]
कविता (अन्य)
कैसे कह देते हम ख़्वाहिशें दिल की मन्नतें थी कहीं जो कागज़ दिल की [...]
क़ता (दर्द)
कह तो देते तुम्हें हाले दिल मगर , क्या समझते तुम कौरे पन्नों पर उकेरते [...]
तुम कहो तो पल-पल का मैं हिसाब लिख दूं धड़कने जो न समझ सको तो [...]
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