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कविता (प्रेम)
कविता २२२२-२२२२ -२२ मंदिर में जाना अर्चना में माना व्रत करवा को एक महिला पाना. [...]
दोहा
रखों उस मालिक डोरी, कारज आप होंगे मन से जब सिमरन करो, शुद्नचित जाप होंगे|१ [...]
कविता (संदेशात्मक)
कविता देशवासियों अब तुम्हें भी जागना ही है देश का हित में कुछ तो बाटना [...]
ग़ज़ल (अन्य)
जीवन खिला चमन लगता है घर तुझसे ही घर लगता है| सोचों में हर पल [...]
कविता (अन्य)
कविता सावन सावन तो आया अरमान है न्यौता तो पाया अब जाना हैं . अम्मा [...]
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