कविता (प्रेम)
बारिश की पहली बूँद जब धरती को छुती है तब उस बून्द के स्पर्श से [...]
रूह मेरी देवधाम हो जैसे और तुम……हां तुम उस देवालय में स्थापित ईश्वरीय मूरत है [...]
कविता (वेदना)
सुनो अब उम्र हो गयी है मेरी जाने की वर्धवस्था जवाब देने लगी है अब [...]
काग़ज़ दिल रचना
तन्हाईओं से फर्क नही पड़ता मुझे अब वीरानों की आदत सी हो गयी है!! महफिलों [...]
काश कोई ऐसी काग़ज़ दिल सी अदृश्य स्याही हो नज्मो में तेरा नाम अंकित करूँ [...]
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