मुक्तक (संदेशात्मक)
रिश्तों की अजीब ये रस्साकशी है कहीं है चाहत तो कहीं बेबसी है इन [...]
शेर (मोहब्बत)
रूह महक उठती है साथ तेरे चलनेे से सौ चराग जलते हैं इक चराग जलने [...]
कविता (संदेशात्मक)
ये हिकारत की नज़र झेली हमने जीवन में है समझा है इसको नसीहत आग अपने [...]
सत्य कथा-आँखों देखी-कानों सुनी
आज थोड़ा सा हट कर….एक सत्य कथा.. स्वयंसिद्धा……. सुबह सबेरे डॉ के क्लीनिक में गये [...]
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