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ग़ज़ल (संदेशात्मक)
दरून ए-चशम जाकर कुछ हसीं मंज़र तलाशेगा वो अपनी ज़ात का हिस्सा मेरे अंदर तलाशे [...]
ग़ज़ल (मोहब्बत)
ग़ज़ल साथ तेरा इस क़दर अच्छा लगा रास्ता भी पुर ख़तर अच्छा लगा ग़ैर को [...]
लब पे जब कोई पुराना मिरे नग़मा जागा फिर नया आह-ओ-फ़ुग़ां का कोई लम्हा जागा [...]
तू जब गुनाह की लज़्ज़त में डूब जाएगा कसम ख़ुदा की हलाकत में डूब जाएगा [...]
हर जगह हर किसी से उलझा है आदमी आदमी से उलझा है हौसला तो चिराग़ [...]
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