कविता (प्रेम)
वो कैनवस ही तो ढूँढ रही हूँ, जिस पर उकेर सकूँ तुम्हें। कुछ उनींदी आँखें, [...]
« »
आपका नाम
आपकी ई-मेल आईडी
कृपया बताएं इस पोस्ट से आपको क्या शिकायत है ( काग़ज़दिल आईडी भी लिखें ,यदि आप सदस्य हैं )