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कविता (अन्य)
कविता (छन्द मुक्त)-: मानव •••••• मानव धरती पर जन्म लिया वनों में रहन-सहन होने की [...]
कविता (संदेशात्मक)
नव वर्ष हमारा आया है, खुशियों भरा फब्बारा लाया है, सभी जगह सुगंध फैलाया है [...]
हे मानव !! क्यों झूठ का गठरी लिए सर्वत्र घूम रहा है क्यों मानव होकर [...]
काग़ज़ दिल रचना
कागज़ का दिल से,ऐसा लगाव होता है कि, दिल की आवाज़,कागज़दिल बन जाता है॥१॥ [...]
सामाजिक कहानी
एक बार की बात है कि मैं बनारस जा रहा था। कर्मनाशा स्टेशन से देहरादून [...]
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